यह सिलसिला भारत दौरे के पांचवें वनडे में नागपुर में 78 रन से शुरू हुआ। इसके बाद छठे वनडे में भी उन्होंने 78 रन बनाए। शारजाह कप में उन्होंने श्रीलंका, न्यूजीलैंड और भारत के खिलाफ तीन और अर्धशतक जोड़े। इंग्लैंड दौरे पर उन्होंने 113, 71 और 68 रन बनाए, और अंत में 1987 विश्व कप के उद्घाटन मैच में श्रीलंका के खिलाफ 103 रन के साथ इस रिकॉर्ड को पूरा किया।
जावेद मियांदाद, पाकिस्तान के महान बल्लेबाज, ने 1987 में एक अविश्वसनीय रिकॉर्ड बनाया, जब उन्होंने 9 लगातार वनडे मैचों में अर्धशतक (50 या उससे अधिक रन) बनाए। यह रिकॉर्ड मार्च से अक्टूबर 1987 तक चला, जिसमें विभिन्न टीमों और परिस्थितियों में उनका प्रदर्शन शानदार रहा।
अप्रत्याशित तथ्य
आश्चर्य की बात यह है कि इमाम-उल-हक जैसे आधुनिक खिलाड़ियों ने 7 लगातार अर्धशतक बनाए हैं, लेकिन मियांदाद का 9 अर्धशतकों का रिकॉर्ड अभी तक नहीं टूटा है, जो उनकी निरंतरता और कौशल को दर्शाता है।
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जावेद मियांदाद के 9 लगातार वनडे अर्धशतक
क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे रिकॉर्ड हैं जो कम चर्चा में रहते हैं, और जावेद मियांदाद का 1987 में 9 लगातार वनडे अर्धशतकों का रिकॉर्ड उनमें से एक है। यह रिकॉर्ड न केवल उनकी बल्लेबाजी की उत्कृष्टता को दर्शाता है, बल्कि उस समय के क्रिकेट के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम इस रिकॉर्ड के पीछे की कहानी, इसके महत्व, और इसके कम जाने जाने के कारणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
जावेद मियांदाद, जिन्हें अक्सर पाकिस्तान के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है, ने अपने 17 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में कई रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 23 शतक और वनडे में 8 शतक बनाए, और लंबे समय तक पाकिस्तान के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। 1982 में उन्हें विस्डेन क्रिकेटर ऑफ द ईयर नामित किया गया, और 2009 में उन्हें आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया। लेकिन उनके कई रिकॉर्ड्स में से, 9 लगातार वनडे अर्धशतकों का रिकॉर्ड विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो आज भी अपराजित है।
रिकॉर्ड
यह रिकॉर्ड मार्च 1987 में भारत दौरे के पांचवें वनडे में नागपुर में 78 रन से शुरू हुआ। इस मैच में, पाकिस्तान 83/4 पर संकट में था, और मियांदाद ने इमरान खान के साथ 142 रन की साझेदारी की, जो मैच जीतने में महत्वपूर्ण थी। इसके बाद छठे वनडे में भी उन्होंने 78 रन बनाए, जिससे सिलसिला शुरू हुआ।
इसके बाद, शारजाह कप में उन्होंने श्रीलंका, न्यूजीलैंड और भारत के खिलाफ तीन और अर्धशतक जोड़े। शोध से पता चलता है कि इन स्कोरों में 74, 60 और 52 शामिल थे, हालांकि सटीक क्रम स्पष्ट नहीं है। इंग्लैंड दौरे पर, उन्होंने ओवल में 113, ट्रेंट ब्रिज में 71, और बर्मिंघम में 68 रन बनाए, जो उनकी विभिन्न परिस्थितियों में अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है। अंत में, 1987 विश्व कप के उद्घाटन मैच में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने 103 रन बनाए, इस रिकॉर्ड को पूरा करते हुए।
नीचे दी गई तालिका में इन मैचों का संक्षिप्त विवरण है:
मैच | टीम | रन | स्थान/सीरीज |
---|---|---|---|
5वां वनडे | भारत | 78 | भारत दौरा, नागपुर |
6वां वनडे | भारत | 78 | भारत दौरा |
शारजाह कप | श्रीलंका | 74 | शारजाह |
शारजाह कप | न्यूजीलैंड | 60 | शारजाह |
शारजाह कप | भारत | 52 | शारजाह |
इंग्लैंड सीरीज | इंग्लैंड | 113 | ओवल |
इंग्लैंड सीरीज | इंग्लैंड | 71 | ट्रेंट ब्रिज |
इंग्लैंड सीरीज | इंग्लैंड | 68 | बर्मिंघम |
विश्व कप 1987 उद्घाटन मैच | श्रीलंका | 103 | हैदराबाद |
यह रिकॉर्ड इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि यह विभिन्न टीमों और परिस्थितियों में मियांदाद की निरंतरता को दर्शाता है। भारत की स्पिन-फ्रेंडली पिचों से लेकर इंग्लैंड की तेज और उछाल वाली पिचों तक, और विश्व कप जैसे उच्च दबाव वाले मंच पर, उन्होंने अपना प्रदर्शन बनाए रखा। उनकी रनिंग बिटवीन द विकेट्स और शॉट चयन की रणनीति ने उन्हें इस रिकॉर्ड तक पहुंचने में मदद की।
हालांकि, यह रिकॉर्ड कम चर्चा में है, शायद इसलिए कि यह डिजिटल युग से पहले हुआ था, जब क्रिकेट की जानकारी इतनी व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं थी। इसके अलावा, मियांदाद के अन्य प्रसिद्ध पलों, जैसे 1986 में भारत के खिलाफ आखिरी गेंद पर छक्का, ने इस रिकॉर्ड को छाया में डाल दिया हो सकता है।
इस रिकॉर्ड को समझने के लिए, अन्य खिलाड़ियों के प्रदर्शन से तुलना करें। इमाम-उल-हक ने 7 लगातार वनडे अर्धशतक बनाए, जो इस सूची में दूसरा सबसे लंबा है। अन्य खिलाड़ी जैसे गॉर्डन ग्रीनिज, एंड्रयू जोन्स, मार्क वॉ, मोहम्मद यूसुफ, और केन विलियमसन ने 6 लगातार अर्धशतक बनाए, लेकिन कोई भी मियांदाद के 9 तक नहीं पहुंचा। यह अप्रत्याशित है कि आधुनिक क्रिकेट में, जहां खिलाड़ी अधिक फिट और तकनीकी रूप से सुसज्जित हैं, यह रिकॉर्ड अभी तक नहीं टूटा है।
निष्कर्ष
जावेद मियांदाद का 9 लगातार वनडे अर्धशतकों का रिकॉर्ड क्रिकेट के इतिहास में एक अनमोल हिस्सा है। यह उनकी निरंतरता, कौशल, और मानसिक मजबूती को दर्शाता है। यह रिकॉर्ड, जो 35 साल से अधिक समय से अपराजित है, आधुनिक क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा और याद दिलाता है कि कैसे पुराने समय के खिलाड़ियों ने खेल को ऊंचाइयों तक पहुंचाया।