थाईलैंड की सत्ता में शिनावात्रा परिवार की वापसी: सबसे युवा प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा का रोमांचक सफर!

थाईलैंड की राजनीति में एक बार फिर शिनावात्रा परिवार का दबदबा कायम हो गया है। 37 साल की पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने प्रधानमंत्री पद की कुर्सी संभाल ली है, और इसके साथ ही वह थाईलैंड की सबसे युवा और दूसरी महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं। राजनीति की दुनिया में यह नया अध्याय उस समय लिखा गया जब उन्हें 310 सांसदों का समर्थन मिला, जो उन्हें देश का सर्वोच्च नेता बनाने के लिए पर्याप्त था।

पैटोंगटार्न शिनावात्रा: संघर्ष, सफलता और सत्ता तक का सफर

पैटोंगटार्न शिनावात्रा का नाम थाईलैंड की राजनीति में अब किसी पहचान का मोहताज नहीं है। वह देश के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की बेटी हैं और राजनीति में कदम रखने से पहले वह होटल मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं। उनकी जीवन यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन पैटोंगटार्न ने हर चुनौती को पार कर खुद को साबित किया। 17 साल की उम्र में उन्होंने मैकडॉनल्ड्स में पार्ट टाइम नौकरी की, जिससे उन्हें अपने जीवन में महत्वपूर्ण सबक मिले।

राजनीति में कैसे बनाई जगह?

पैटोंगटार्न की राजनीति में एंट्री 2021 में हुई जब उन्होंने फिउ थाई पार्टी के साथ जुड़कर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने पार्टी के भीतर एक मजबूत और प्रमुख नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। 2023 के चुनावों में, वह फिउ थाई पार्टी का महत्वपूर्ण चेहरा बनीं और इस दौरान गर्भवती होने के बावजूद उन्होंने पूरे देश में चुनाव प्रचार किया।

राजनीति के साथ-साथ बिजनेस में भी मारी बाजी

पैटोंगटार्न केवल राजनीति तक ही सीमित नहीं रहीं। वह एससी एसेट कॉर्प पीसीएल की सबसे बड़ी शेयरधारक भी हैं, जिसमें उनकी 28.5% हिस्सेदारी है। इस बिजनेस ने उनकी वित्तीय स्थिति को और मजबूत किया, जिससे वह राजनीति में भी प्रभावी भूमिका निभाने में सक्षम रहीं।

आगे की राह: पैटोंगटार्न के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?

प्रधानमंत्री बनने के बाद पैटोंगटार्न ने अपने पहले बयान में कहा कि वह देश को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देंगी।

अब देखना यह है कि पैटोंगटार्न शिनावात्रा अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को किस तरह आगे बढ़ाती हैं और थाईलैंड को किस दिशा में ले जाती हैं। थाईलैंड की राजनीति में शिनावात्रा परिवार की वापसी निश्चित रूप से आने वाले समय में बड़े बदलावों की शुरुआत हो सकती है।

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