नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर सूर्य के बेहद करीब उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह मिशन अब भी जिंदा है या सूर्य की तीव्र गर्मी ने इसे राख कर दिया है? वैज्ञानिक अब भी इसके संकेतों का इंतजार कर रहे हैं।
क्या पार्कर बच पाएगा?
नासा की एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर निकोला फॉक्स का कहना है कि प्रोब ने वह सब कुछ हासिल कर लिया, जिसके लिए इसे डिजाइन किया गया था। उन्होंने भरोसा जताया है कि सूर्य के करीब से गुजरने के बावजूद यह सुरक्षित रहेगा।
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6.9 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार
- पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य के करीब से 6,90,000 किमी/घंटा की अद्भुत रफ्तार से उड़ान भरी।
- अनुमान है कि इसे करीब 980°C की तीव्र गर्मी का सामना करना पड़ा।
- इंसान द्वारा बनाई गई कोई और चीज आज तक सूर्य के इतने करीब नहीं पहुंची है।
20 दिसंबर तक सबकुछ सही
पार्कर प्रोब का अंतिम संदेश 20 दिसंबर को आया था। इसमें बताया गया कि इसके सारे सिस्टम सही तरीके से काम कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 27 दिसंबर तक यह कंट्रोल सेंटर से संपर्क कर सकता है।
पूरी तरह से ऑटोमेटेड मिशन
यह मिशन पूरी तरह ऑटोमेटेड था। वैज्ञानिकों ने इसे सूर्य के करीब की परिस्थितियों को झेलने के लिए खासतौर पर डिजाइन किया था।
डेढ़ अरब डॉलर का मिशन
- इस ऐतिहासिक मिशन को बनाने में 1.5 अरब डॉलर (लगभग 12,500 करोड़ रुपये) का खर्च आया।
- मिशन से मिलने वाले डेटा का खुलासा नए साल में होगा।
वैज्ञानिकों को क्या उम्मीदें हैं?
पार्कर सोलर प्रोब से मिले डेटा से वैज्ञानिक समझ सकेंगे कि सूर्य के करीब का वातावरण कैसा है। इसके अलावा, यह भी पता चलेगा कि स्पेसक्राफ्ट की हेल्थ कैसी है और उसने कितनी जानकारी इकट्ठा की।