क्या आपका फोन आपकी बातें सुन रहा है : क्या आपने कभी सोचा है कि आप जो बात करते हैं, वही आपके फोन पर विज्ञापनों में क्यों दिखता है? शायद हां! और अब एक रिपोर्ट ने इस डरावने सच को उजागर किया है कि आपके डिवाइस वाकई आपकी बातें “सुन” रहे हैं। कॉक्स मीडिया ग्रुप (CMG) पर आरोप है कि वह “एक्टिव लिसनिंग” सॉफ्टवेयर के जरिए डिवाइस माइक्रोफोन से कैप्चर की गई बातचीत को आधार बनाकर विज्ञापनों को टार्गेट कर रहा है।
क्या है एक्टिव लिसनिंग सॉफ्टवेयर?
404 Media द्वारा सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, CMG इस सॉफ्टवेयर को बढ़ावा दे रहा है जो यूजर्स की बातचीत सुनता है और उसी के आधार पर उन्हें टार्गेटेड विज्ञापन दिखाता है। रिपोर्ट के अनुसार, सीएमजी के पार्टनर्स में बड़े नाम शामिल हैं, जैसे कि Facebook, Google और Amazon। लेकिन ये कंपनियां इस टेक्नोलॉजी के उपयोग से साफ इनकार करती हैं।
बातचीत सुनकर विज्ञापन? कैसे काम करता है ये सॉफ्टवेयर
इस सॉफ्टवेयर का दावा है कि यह आपके डिवाइस के माइक्रोफोन से वॉयस डेटा कैप्चर करता है, और उसी के आधार पर आपको संबंधित विज्ञापन दिखाता है। अब चाहे आप स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हों, स्मार्ट स्पीकर या फिर स्मार्ट टीवी, यह सॉफ्टवेयर चुपके से आपकी बातचीत रिकॉर्ड कर सकता है।
CMG और पार्टनर कंपनियों का क्या कहना है?
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि CMG अपने सॉफ्टवेयर को Facebook, Google और Amazon जैसी कंपनियों के साथ जोड़कर दिखा रहा था। लेकिन इन कंपनियों ने फौरन इससे किनारा कर लिया:
- Amazon ने कहा, “हमने कभी भी CMG के साथ काम नहीं किया है।”
- Google ने CMG को अपने पार्टनर प्रोग्राम से बाहर कर दिया।
- Meta (Facebook की मूल कंपनी) ने कहा कि वह जांच कर रही है कि क्या CMG ने उनके नियमों का उल्लंघन किया है।
आपकी प्राइवेसी का क्या?
यह रिपोर्ट सवाल खड़े करती है कि क्या हमारी प्राइवेसी सुरक्षित है? अगर एक कंपनी बिना आपकी जानकारी के आपके वॉयस डेटा को कैप्चर कर रही है, तो इससे आपकी निजता को कितना बड़ा खतरा हो सकता है?
फीचर | विवरण |
---|---|
एक्टिव लिसनिंग सॉफ्टवेयर | डिवाइस माइक्रोफोन द्वारा कैप्चर की गई बातचीत को स्टोर करना |
पार्टनर्स | Facebook, Google, Amazon (CMG का दावा, लेकिन इनकार) |
प्राइवेसी का उल्लंघन | बिना सहमति के वॉयस डेटा का उपयोग विज्ञापन के लिए |
पब्लिकेशन का दावा | 404 Media ने CMG की इस तकनीक को एक्सपोज किया है |
अंत में सोचने वाली बात
अगर टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि हमारे डिवाइस हमारी बातें सुनकर हमें विज्ञापन दिखा रहे हैं, तो क्या भविष्य में हमारी प्राइवेसी कहीं और भी गंभीर खतरे में पड़ने वाली है?