मोदी सरकार ने 24 अगस्त को केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ा ऐलान करते हुए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी है। यह नई स्कीम रिटायरमेंट के बाद पेंशन की तस्वीर बदलने वाली है। UPS के साथ अब कर्मचारियों के पास न्यू पेंशन स्कीम (NPS) का विकल्प भी रहेगा, लेकिन सवाल ये है कि UPS NPS से कितना बेहतर है और रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा?
सबसे पहले तो आपको बता दें कि सरकार ने NPS को पूरी तरह से खत्म नहीं किया है, बल्कि UPS के साथ इसे एक विकल्प के रूप में बरकरार रखा है। लेकिन UPS के ऐलान के बाद अब ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये नई पेंशन स्कीम क्या नया लेकर आई है और इससे कर्मचारियों को कितनी राहत मिलेगी?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की अहम बातें:
पेंशन स्कीम | पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) | न्यू पेंशन स्कीम (NPS) | यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) |
---|---|---|---|
सरकारी योगदान | नहीं था | 14% | 18.5% |
पेंशन गणना | एक तय राशि | सैलरी का 10% कटौती | आखिरी साल की औसत सैलरी का 50% |
परिवार को पेंशन | तय रकम | तय नहीं | पेंशन का 60% |
मिनिमम पेंशन | तय नहीं | तय नहीं | 10,000 रुपये |
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के तहत अब कर्मचारियों को उनकी रिटायरमेंट के बाद आखिरी साल की औसत सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। यानी अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 50 हजार रुपये थी, तो उसे हर महीने 25 हजार रुपये पेंशन के रूप में मिलेंगे। इसके अलावा, 10 साल से ज्यादा सर्विस वाले कर्मचारियों को कम से कम 10 हजार रुपये की पेंशन मिलेगी।
यही नहीं, सरकार ने अपनी हिस्सेदारी भी बढ़ाकर 18.5% कर दी है, जो पहले NPS के तहत 14% थी। अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को पेंशन का 60% हिस्सा मिलेगा।
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हालांकि, फिलहाल UPS केवल केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लागू होगी और राज्य सरकारों के कर्मचारियों को अभी इसके दायरे में शामिल नहीं किया गया है। भविष्य में राज्य सरकारें चाहें तो इसे अपने कर्मचारियों के लिए लागू कर सकती हैं।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम ने पुरानी पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम के बीच के अंतर को पाटने का प्रयास किया है। इससे केंद्रीय कर्मचारियों को एक मजबूत पेंशन प्रणाली मिलने की उम्मीद है, जिससे उनकी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी और भी सुरक्षित हो सकेगी।