गरुड़ पुराण, भारतीय संस्कृति के धार्मिक ग्रंथों में से एक है और यह बहुत महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। इस पुराण में स्त्री और उसकी भूमिका के बारे में कई महत्वपूर्ण बाते की गयी हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार स्त्रियों को कभी 4 काम नहीं करने चाहिए। यहाँ हम इस विचार को गहराई से समझेंगे और इसका मतलब स्पष्ट करेंगे।
गरुड़ पुराण का महत्व
गरुड़ पुराण भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह ग्रंथ धार्मिक और दार्शनिक ज्ञान का भंडार है , यह समाज को सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। इस पुराण में स्त्री के दर्शन के अलावा उसके आचरण और कार्यों के बारे में भी जानकारी दी गई है। यहां तक कि इस पुराण में स्त्रियों के द्वारका यात्रा की भी चर्चा की गई है।
गरुड़ पुराण के अनुसार स्त्रियों को कभी 4 काम नहीं करने चाहिए
भारतीय संस्कृति में धर्म और दार्शनिक ग्रंथों का महत्व अत्यधिक है, और गरुड़ पुराण एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें आध्यात्मिक ज्ञान, धर्म, और जीवन के मूल सिद्धांतों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस पुराण में स्त्री के अधिकार और कर्तव्यों के बारे में बताया गया है, और यहां एक महत्वपूर्ण संदेश दिया गया है कि स्त्रियों को किस प्रकार के कामों से दूर रहना चाहिए।
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गरुड़ पुराण के अनुसार, स्त्रियों को चार काम नहीं करने चाहिए:
खेती और खुदाई:
गरुड़ पुराण के अनुसार, स्त्रियों को खेती और खुदाई में भाग नहीं लेना चाहिए। यह काम ज़्यादा शारीरिक मेहनत और श्रम वाला होता है, जिससे स्त्रियों की सेहत पर असर पड़ सकता है। खेती में जैविक और खुदाई में भूमि का खोदना स्त्रियों के लिए थकाऊ और कठिन हो सकता है, जिससे उनकी सेहत पर असर हो सकता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस तरह के कामों में स्त्रियों को अधिक दिलचस्पी नहीं लेना चाहिए, ताकी उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रह सके ।
शवयात्रा:
गरुड़ पुराण के अनुसार, स्त्रियों को शवयात्रा में शामिल नहीं होना चाहिए। शवयात्रा की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए स्त्रियों को निषेध किया गया है। यह कार्य भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है, और इसका उद्देश्य मृत्यु के बाद आत्मा को मोक्ष की दिशा में ले जाना होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस प्रक्रिया में स्त्रियों को शामिल नहीं होने की सलाह दी गई है, क्योंकि इसमें तनावपूर्ण और दुःखद माहौल होता है, जो स्त्रियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
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संगठनों में सभासद:
गरुड़ पुराण के अनुसार, स्त्रियों को संगठनों में सभासद नहीं बनना चाहिए। इसका मतलब है कि स्त्रियों को राजनीति और समाज में निर्णय लेने के प्रति सावधान रहना चाहिए। सभासद बनने से प्रतिस्पर्धा और संघर्ष की स्थितियों में स्त्रियों को अधिक दबाव में आ सकता है, और उनकी आत्मविश्वास में कमी आ सकती है। गरुड़ पुराण का संदेश है कि स्त्रियों को समाज में अपनी सहायता और योगदान के रूप में उपस्थित होने का मौका मिलता है, लेकिन संघर्षों से दूर रहकर।
पुण्यकार्यों के अधिकारी:
गरुड़ पुराण के अनुसार, स्त्री को पुण्यकार्यों का अधिकारी नहीं बनना चाहिए। यह महत्वपूर्ण संदेश है क्योंकि स्त्रियों को समाज में उनके सहायता और पुण्य कार्यों के माध्यम से योगदान देने का अवसर मिलता है, लेकिन उन्हें इसमें अत्यधिक दबाव में नहीं आना चाहिए। स्त्रियों को स्वतंत्रता से और सहजता से पुण्य कार्यों में भाग लेने का अधिकार होना चाहिए, ताकि वे समाज में सक्रिय भागीदारी कर सकें और आत्मनिर्भरता का संदेश दे सकें।
गरुड़ पुराण में स्त्रियों के लिए निम्नलिखित कामों का उल्लेख है:
1. घर का प्रबंधन: स्त्रियों का प्रमुख कार्य है घर का प्रबंधन करना। यह उनका पहला और सबसे महत्वपूर्ण कार्य होना चाहिए।
2. शिक्षा देना: स्त्रियों के पास शिक्षा देने का महत्वपूर्ण कार्य होता है। वे अपने बच्चों को शिक्षित बनाने का मार्ग आगे बढ़ा सकती हैं।
3. औपचारिक काम:स्त्रियों को चिकित्सा क्षेत्र में भी अपना योगदान देना चाहिए। वे चिकित्सक, नर्स, या अन्य स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करके समाज के स्वास्थ्य में सुधार कर सकती हैं।
4. सामाजिक सेवा:स्त्रियों का योगदान सामाजिक सेवा में भी होना चाहिए। वे समाज के उन वर्गों की मदद कर सकती हैं जिन्हें आवश्यकता है।
निष्कर्ष
गरुड़ पुराण के अनुसार, स्त्रियों को कभी चार काम नहीं करने चाहिए, लेकिन वे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्हें अपने परिवार और समाज की सेवा करने का अवसर मिलता है, जो उनके जीवन को सार्थक बनाता है।