भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए टाटा ग्रुप ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स बिजनेस का विस्तार शामिल है। खबरें थीं कि टाटा ग्रुप, Vivo India में 51% हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब यह डील अटक गई है। आइए, जानते हैं क्यों टाटा ने इस बड़े कदम से पीछे हटने का फैसला किया।
Apple से पार्टनरशिप बनी बाधा!
रिपोर्ट के अनुसार, टाटा ग्रुप ने विस्ट्रॉन इंडिया की बेंगलुरू यूनिट का अधिग्रहण किया है, जिससे टाटा अब iPhone निर्माण में भूमिका निभा रहा है। अगर टाटा Vivo India में हिस्सेदारी खरीदता, तो उसकी Apple के साथ सीधी टक्कर हो जाती, क्योंकि Apple और Vivo एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं। यह स्थिति दोनों कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती थी।
एक सूत्र के मुताबिक, टाटा की Apple के साथ मैन्युफैक्चरिंग पार्टनरशिप इस सौदे में सबसे बड़ी बाधा बनी। टाटा का Vivo के साथ जुड़ाव Apple के साथ उसके साझेदारी के विरोधाभासी होता। इसलिए, टाटा और Vivo के बीच बातचीत रुक गई है, और फिलहाल इस डील के होने की संभावना कम है।
Vivo India की बढ़ती ताकत
दूसरी तरफ, Vivo India की स्थिति मजबूत बनी हुई है। काउंटरपॉइंट की लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 की दूसरी तिमाही में Vivo की स्मार्टफोन शिपमेंट 18.8% रही, जो पिछले साल की इसी अवधि में 17.4% थी। कंपनी भारतीय बाजार में दूसरे स्थान पर बनी हुई है।
स्पेसिफिकेशन और फीचर्स का जिक्र:
स्पेसिफिकेशन | विवरण |
---|---|
प्रमुख कारण | Apple के साथ टाटा की पार्टनरशिप |
Vivo की शिपमेंट | 2024 Q2 में 18.8% |
पिछली शिपमेंट | 2023 Q2 में 17.4% |
यह स्पष्ट है कि टाटा ग्रुप की Apple के साथ साझेदारी ने Vivo India में हिस्सेदारी खरीदने की उसकी योजना को प्रभावित किया है। इसके चलते टाटा ने फिलहाल Vivo के साथ इस डील पर आगे बढ़ने से कदम पीछे खींच लिए हैं। Vivo India की बढ़ती ताकत को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में ये दोनों कंपनियां भारतीय बाजार में कैसे आगे बढ़ती हैं।
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