एस्टरॉयड्स हमेशा से सौरमंडल का हिस्सा रहे हैं, जिन्हें हम महज बिखरे हुए चट्टानों के टुकड़े समझते थे। लेकिन यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के Gaia स्पेस टेलीस्कोप ने कुछ ऐसा खुलासा किया है जिसने वैज्ञानिकों के होश उड़ा दिए हैं! अब पता चला है कि ये ‘अकेले भटकते पत्थर’ नहीं हैं, बल्कि इनका भी अपना ‘चंद्रमा’ होता है!
352 नए Asteroids के ‘बाइनरी सिस्टम’ का खुलासा!
Gaia मिशन के दौरान वैज्ञानिकों ने 350 से भी ज्यादा एस्टरॉयड्स के इर्द-गिर्द उनके चंद्रमाओं को घूमते हुए देखा है। जी हां, इन 352 एस्टरॉयड्स में से हर एक के पास अपना चंद्रमा है, जो इनका साथी बनकर सौरमंडल में घूम रहा है।
Côte d’Azur ऑब्जर्वेटरी के शोधकर्ताओं ने इस खोज को बेहद महत्वपूर्ण माना है। प्रमुख शोधकर्ता लुआना लिबरेटो ने बताया कि अब तक केवल 500 एस्टरॉयड्स में बाइनरी सिस्टम खोजा गया था, जिसमें अब ये नए 352 एस्टरॉयड्स भी शामिल हो गए हैं।
NASA की Lucy मिशन ने भी किया था बड़ा खुलासा!
पिछले साल, नासा के Lucy मिशन ने एस्टरॉयड Dinkinesh के चंद्रमा का पता लगाया था। इस एस्टरॉयड का चंद्रमा 220 मीटर चौड़ा है और यह 434 किलोमीटर की दूरी से इसका चक्कर लगा रहा है। ये जानकारी दिखाती है कि एस्टरॉयड्स में बाइनरी सिस्टम्स होना शायद बहुत ही सामान्य बात है, जिसे हम अब तक नजरअंदाज करते आए थे।
क्या हैं एस्टरॉयड बेल्ट्स और इनकी धरती से दूरी?
धरती के करीब पाए जाने वाले अधिकांश एस्टरॉयड्स एस्टरॉयड बेल्ट में मौजूद हैं, जो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच स्थित है। यह धरती से लगभग 48 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है।
इस खोज का महत्व
352 नए बाइनरी एस्टरॉयड्स का मिलना इस बात का संकेत है कि सौरमंडल में अब भी कई रहस्य छिपे हैं जिन्हें खोजा जाना बाकी है। यह खोज वैज्ञानिकों को सौरमंडल के विकास और एस्टरॉयड्स के निर्माण के बारे में नई जानकारियां दे सकती है।
तो क्या हम अब हर एस्टरॉयड को अकेला चट्टान नहीं, बल्कि एक मिनी-प्लानेटरी सिस्टम मानें? वैज्ञानिकों की इस दिशा में नई खोजें जारी रहेंगी!
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